प्रस्तावना
सरोजिनी नायडू भारत के स्वतंत्रता संग्राम की एक प्रमुख हस्ती, प्रसिद्ध कवयित्री और समाज सुधारक थीं। उन्हें उनके साहित्यिक और राजनीतिक योगदानों के लिए “भारत कोकिला” (Nightingale of India) के नाम से जाना जाता है। उनका जीवन प्रेरणा, संघर्ष, देशभक्ति और नारी सशक्तिकरण का अद्वितीय उदाहरण है।
प्रारंभिक जीवन
उनका जन्म- 13 फरवरी 1879, हैदराबाद में हुआ था । उनके पिता का नाम - अघोरनाथ चट्टोपाध्याय (वैज्ञानिक और शिक्षाविद) उनकी माता का नाम - बरदा सुंदरि देवी एक (कवयित्री)थीं। सरोजिनी नायडू बचपन से ही मेधावी थीं। उन्होंने मात्र 12 वर्ष की उम्र में हाईस्कूल परीक्षा पास कर ली थी। इसके बाद उन्होंने इंग्लैंड के किंग्स कॉलेज, लंदन और फिर कैम्ब्रिज के गिर्टन कॉलेज से शिक्षा प्राप्त की।
साहित्यिक योगदान
सरोजिनी नायडू की कविताएं भावनाओं, सौंदर्य और देशभक्ति से ओतप्रोत होती थीं। उनके प्रमुख कविता संग्रह हैं-
The Golden Threshold
The Bird of Time
The Broken Wing
In the Bazaars of Hyderabad उनकी सुप्रसिद्ध कविताओं में से एक है जो भारतीय बाज़ार की एक जीवंत तस्वीर प्रस्तुत करता है
राजनीतिक जीवन
सरोजिनी नायडू ने 1904 में राजनीति में प्रवेश किया और स्वतंत्रता आंदोलन का हिस्सा बन गईं।
वे महात्मा गांधी के असहयोग आंदोलन और नमक सत्याग्रह में भागीदार रहीं।
उन्होंने विदेशी वस्त्रों की होली जलाने और भारतीय स्वदेशी वस्त्रों के प्रचार में भी सक्रिय भूमिका निभाई।
भारत की पहली महिला अध्यक्ष के रुप में 1925मे चुना गया।.
1930 में दांडी यात्रा के दौरान वे गिरफ्तार भी हुईं।
उन्होंने 1931 में लंदन में हुए द्वितीय गोलमेज सम्मेलन में भारत का प्रतिनिधित्व किया।
नारी सशक्तिकरण में योगदान
सरोजिनी नायडू महिलाओं की शिक्षा, समान अधिकार और सामाजिक स्वतंत्रता की प्रबल समर्थक थीं।
उन्होंने Women’s Indian Association की स्थापना में भूमिका निभाई।
उन्होंने महिलाओं को आंदोलन में भाग लेने के लिए प्रेरित किया।
महिला मताधिकार (voting rights) के लिए भी उन्होंने संघर्ष किया।
निधन
मृत्यु- 2 मार्च 1949, लखनऊ
सरोजिनी नायडू का निधन उनके कार्यकाल के दौरान हुआ। उनके योगदान को हमेशा याद किया जाता है। उनकी जयंती (13 फरवरी) को राष्ट्रीय महिला दिवस के रूप में मनाया जाता है।
उनके द्वारा किये गए महत्वपुर्ण कार्य
1. स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय भूमिका
सरोजिनी नायडू केवल साहित्य तक सीमित नहीं रहीं, बल्कि उन्होंने महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू और अन्य स्वतंत्रता सेनानियों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर भारत को स्वतंत्र कराने के संघर्ष में भाग लिया।उन्होंने 1905 में बंग-भंग आंदोलन में हिस्सा लिया।असहयोग आंदोलन, सविनय अवज्ञा आंदोलन, और भारत छोड़ो आंदोलन में सक्रिय भागीदारी की।वे कई बार ब्रिटिश सरकार द्वारा गिरफ्तार की गईं।
2. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की अध्यक्ष
वर्ष 1925 में सरोजिनी नायडू भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की पहली महिला अध्यक्ष बनीं। यह एक ऐतिहासिक उपलब्धि थी और इसने महिलाओं की राजनीतिक भागीदारी का मार्ग प्रशस्त किया।
3. महिलाओं के अधिकारों की हिमायती
उन्होंने नारी सशक्तिकरण के लिए कई प्रयास किए-
महिला मताधिकार (Voting Rights) के लिए अभियान चलाया।
Women’s Indian Association (1917) की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
5. अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत की आवाज़
उन्होंने भारत का प्रतिनिधित्व द्वितीय गोलमेज सम्मेलन (1931) में किया।उन्होंने दुनिया के सामने भारत की स्वतंत्रता की माँग और महिलाओं की स्थिति को प्रभावी ढंग से प्रस्तुत किया।
6. प्रेरणास्रोत और सामाजिक सुधारक
उन्होंने जात-पात, बाल विवाह और महिलाओं पर होने वाले अत्याचारों के विरुद्ध आवाज उठाई।
उनके भाषणों और लेखन ने समाज को जागरूक करने का कार्य किया।
उनके नाम पर बने महत्वपुर्ण स्मारक स्थल
सरोजिनी नायडू के नाम पर भारत में कई महत्वपूर्ण स्मारक, संस्थान और स्थान बनाए गए हैं, जो उनके योगदान और स्मृति को चिरस्थायी बनाए रखते हैं। ये स्थल न केवल उनकी विरासत को संरक्षित करते हैं, बल्कि नई पीढ़ी को भी प्रेरणा देते हैं। नीचे उनके नाम पर बनाए गए कुछ प्रमुख स्मारक और संस्थानों की जानकारी दी गई है:
1. सरोजिनी नायडू महिला विश्वविद्यालय (तेलंगाना)
यह विश्वविद्यालय हैदराबाद (तेलंगाना) में स्थित है।इसे हम सरोजिनी नायडू वनिथा महाविद्यालय के नाम से जानते है। यह विश्वविद्यालय महिलाओं की उच्च शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए स्थापित किया गया था।
2. सरोजिनी नायडू मेडिकल कॉलेज (SNMC), आगरा
विचारकों द्वारा बताया जाता है कि यह पुराने मेडिकल कॉलेजों में से एक है। इसकी स्थापना 1854 में हुई थी और बाद में इसका नाम सरोजिनी नायडू के सम्मान में रखा गया। यह कॉलेज उत्तर प्रदेश में चिकित्सा शिक्षा का एक प्रमुख केंद्र है।
3. सरोजिनी नायडू स्कूल ऑफ कम्युनिकेशन, हैदराबाद विश्वविद्यालय
यह स्कूल मीडिया, पत्रकारिता, और जनसंचार की पढ़ाई के लिए एक प्रतिष्ठित संस्थान है।
सरोजिनी नायडू के साहित्यिक और संप्रेषण कौशल के सम्मान में इस स्कूल का नाम उनके नाम पर रखा गया।
4. सरोजिनी नायडू मार्ग / सड़कें / पार्क
भारत के कई शहरों में उनके नाम पर सड़कें, चौराहे, और उद्यान बनाए गए हैं जैसे:
लखनऊ, हैदराबाद, मुंबई और चेन्नई में भी "Sarojini Naidu Road" या "Marg" पाए जाते हैं।
5. सरोजिनी नायडू पुस्तकालय और स्मृति संग्रहालय
कुछ विश्वविद्यालयों और संस्थानों में सरोजिनी नायडू के नाम पर पुस्तकालय या स्मृति संग्रहालय बनाए गए हैं, जहाँ उनके भाषण, कविताएँ और स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ी सामग्रियाँ संग्रहित हैं।
6. विद्यालय और कन्या महाविद्यालय
भारत भर में उनके नाम पर कई विद्यालय, कन्या विद्यालय और महाविद्यालय चल रहे हैं जो नारी शिक्षा को समर्पित हैं।सरोजिनी नायडू की स्मृति में स्थापित ये स्थल और संस्थान न केवल उनके प्रति सम्मान का प्रतीक हैं, बल्कि यह भी दर्शाते हैं कि उन्होंने साहित्य, राजनीति और समाज में जो योगदान दिया, उसे भारतवासी कभी नहीं भूल सकते।
सोर्स- विकीपीडीया,testbool.com , upgovernor.gov.in , nextias.com
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