9b45ec62875741f6af1713a0dcce3009 Indian History: reveal the Past: subhadra kumari chauhan

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सोमवार, 12 मई 2025

subhadra kumari chauhan

subhadra kumari chauhan

प्रस्तावना

प्रस्तुत लेख में हम सुभद्रा कुमारी चौहान के जीवन तथा उनके द्वारा किये गये महत्वपुर्ण कार्यों पर प्रकाश डालेंगे। सुभद्रा कुमारी चौहान एक स्वतंत्रता सेनानी होने के साथ ही कवित्री भी थीं। वे 1921 में महात्मा गांधी जी के असहयोग अंदोलन में भाग लेने वाली पहली महिला थी।.

जीवन परिचय

उनका जन्म इलाहाबाद  (संशोधित नाम प्रयागराज ) के निकट निहालपुर नामक गांव में 16 अगस्त 1904 में हुआ था। उनके पिता रामनाथ सिंह जी पेशे से जमींदार थे। उनकी माता जी का नाम धिराज कुंवर था। सुभद्रा कुमारी चौहान कुल 6 भाई-बहन थे, जिनमें दो भाई और चार बहनें थी। उनकी बड़ी बहन का नाम रानी चौहान एवं उनसे छोटी बहन का नाम सुन्दर चौहान था वे अपनी बहनों में तीसरे नम्बर पर आती थीं।  सुभद्रा जी से छोटी बहन का नाम कमला था। सुभद्रा जी अपने बडे से छोटे भईया के काफी करीब और प्रिय थीं।. 1919 में उनकी शादी खंडवा (जबलपुर)के ठाकुर लक्ष्मण सिंह साथ हो गयी। उनकी बेटी का नाम सुधा था,जो कि अपनी माता के कर कमलों पर चलती हुईं  अपने समय कि प्रसिद्ध लेखिका बनी।.कवित्री सुभद्रा कुमारी चौहन को पांच संताने हुयीं। सुभद्रा जी कि दोनों बेटीयों का नाम सुधा और कमला था तथा बेटे अजय, विजय और अशोक चौहान थे। सुभद्रा जी जूनियर एवं प्रिय सहेली का नाम महादेवी वर्मा था वे भी एक सुप्रसिध्द कावित्री रह चुंकी है।.

उनकी मृत्यु

15 फरवरी 1948 को एक कार एक्सीड़ेंट में उनकी मौत हो गयी। यात्रा के दौरान वे नागपुर से जबलपुर लौट रहीं थीं। यह घटना मध्य प्रदेश के सिवनी के पास हुई। दुर्घटना के समय कावित्री सुभद्रा कुमारी चौहान की उम्र 44 वर्ष थी।.

शिक्षा दीक्षा 

सुभद्रा जी की प्रारम्भिक शिक्षा इलाहाबाद के क्रॅास्थवेट गर्ल कॅालेज में हुई, से उन्होंने मिडील स्कूल परीक्षा पास की। मात्र 9 वर्ष की उम्र से ही उन्होंने ने कविताएं लिखना प्रारम्भ कर दिया था। शादी के बाद उन्होंने पढ़ाई छोड़नी पड़ी। मगर उन्होंने लिखना नहीं छोड़ा और सम्पुर्ण जीवन 88 कविताओं की रचना की, जिनमें से (झांसी की रानी ) उनकी सुप्रसिद्ध रचनाओं में से एक है।.

देश की आज़ादी में योगदान

1921 में उन्होंने महात्मा गांधी जी के असहयोग अन्दोलन में बढ़ चढ़कर भाग लिया। अंग्रेजों द्वारा किये जा रहे अत्याचारों से वे भलीभांति परिचित थीं। अतः ब्रिटिश शासन का विरोध करने के कारण उन्हें 1923 में और 1943 के समय काल में दो बार जेल यात्रा पर जाना पड़ा।. आज़ादी के बाद वे मध्य प्रदेश विधान सभा की सदस्य बनी।.

1. पहली महिला सत्याग्रही- सुभद्रा कुमारी चौहान भारत की पहली महिला थीं जिन्होंने सत्याग्रह में भाग लिया। 1921 में उन्होंने महात्मा गांधी के नेतृत्व में असहयोग आंदोलन में सक्रिय भागीदारी की और 1923 में झंडा सत्याग्रह के दौरान गिरफ्तार हुईं।

2. नागपुर जेल में कैद- 18 वर्ष की उम्र में गर्भवती होने के बावजूद, उन्होंने ब्रिटिश शासन के खिलाफ आवाज उठाई और नागपुर जेल भेजी गईं। महिलाओं को आज़ादी की लड़ाई में भाग लेने के लिए प्रेरित किया उनकी साहसिकता ने।

3. सिविल नाफरमानी आंदोलन- 1940 के दशक में उन्होंने सिविल डिसओबेडिएंस मूवमेंट में भाग लिया और जेल गईं। उन्होंने अपने छोटे बच्चों को पीछे छोड़कर, एक शिशु को साथ लेकर जेल जाने का साहस दिखाया।

4. राजनीतिक भूमिका- सुभद्रा कुमारी चौहान 1936 और 1946 में बिहार विधान सभा के लिए निर्विरोध चुनी गईं। उन्होंने गांधीवादी विचारधारा जैसे अहिंसा, असहयोग, और सांप्रदायिकता विरोध को अपने राजनीतिक सिद्धांतों का आधार बनाया।

उनकी महत्वपुर्ण रचानाऐं

सुभद्रा कुमारी चौहान ने कविताओं के साथ ही कयी काव्य संग्रह तथा कहानी संग्रह भी लिखे है ,जिनमें से कुछ महत्वपुर्ण संग्रह की सुची निम्नवत है।
काव्य संग्रह- मुकुल संग्रह ,त्रिधारा
कहानी संग्रह- बिखरे मोती, उन्मादिनी,सिधेन्सादे चित्र
कविताऍं- झांसी की रानी, वीरों का कैसा हो बंसत , विदा , स्वदेश के प्रति , झंड़े की इज्जत में , सभा का खेल , बोल उठी बिटीया मेरी , जलियाँवाले बाग में बसंत का खेल, कृष्ण का प्रेम , परिचय।.

1. उनकी कविता "झांसी की रानी" भारत के स्वतंत्रता संग्राम का प्रतीक बन गई, जिसने लाखों लोगों को प्रेरित किया। यह कविता रानी लक्ष्मीबाई की वीरता का वर्णन करती है- "खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी"।
2.उन्होंने कुल 88 कविताएं और 46 कहानियां लिखीं, जिनमें सामाजिक अन्याय, जाति और लैंगिक भेदभाव पर जोर दिया गया।
3.उनकी प्रसिद्ध काव्य संग्रह "मुकुल" (1930) और कहानियों का संग्रह "बिखरे मोती" (1932) हैं, जि साहित्यिक सम्मान मिला।

 अन्य योगदान
उन्होंने महिलाओं की स्थिति सुधारने और सामाजिक कुरीतियों जैसे बाल विवाह और जाति प्रथा के खिलाफ आवाज उठाई।उनके लेखन ने स्वतंत्रता आंदोलन को साहित्यिक शक्ति प्रदान की और भारतीय युवाओं को प्रेरित किया।सुभद्रा कुमारी चौहान ने अपने जीवन को देश की सेवा और समाज सुधार के लिए समर्पित किया। उनकी मृत्यु 1948 में एक कार दुर्घटना में हुई।

उनके नाम पर बने महत्वपुर्ण स्मारक व स्थल

1. जबलपुर मुर्ति स्थापना -  महादेवी वर्मा द्वारा  मुर्ति अनावरण मध्य प्रदेश की जबलपुर नगर पालिका परिषद के प्रांगण में 27 नवंबर 1949 में किया गया।
2. भारतीय तटरक्षक जहाज़- उनकी राष्ट्रीय प्रेम की भावना को सम्मानित करने के लिए नवल सेना द्वारा भारतीय तटरक्षक जहाज का नाम उनके नाम पर रखा गया।.
3. स्मारक डाक टिकट- भारतीय डाक विभाग ने 6 अगस्त 1976 को उनके सम्मान में 25 पैसे का स्मारक टिकट जारी किया।
4. गुगल का डूडल- 16 अगस्त 2021 को गुगल ने उनकी 117 जयंती पर डूडल बनाकर उन्हें याद किया।.

बाहरी रिसोर्स


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