9b45ec62875741f6af1713a0dcce3009 Indian History: reveal the Past: swarna kumari devi

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मंगलवार, 20 मई 2025

swarna kumari devi

 

swarna kumari devi

प्रस्तावना

प्रस्तुत लेख में हम सुप्रसिद्ध साहित्यकार ,समाज सुधारक तथा पहली महिला भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की प्रतिनिधि स्वर्ण कुमारी देवी के बारे में चर्चा करेंगे। उन्होंने महिला कल्याण के लिए सखी समिति की स्थापना की थी। जहां पर महिलाओं को विशेष रुप से शिक्षा प्रदान की जाती थी। स्वर्ण कुमारी चौहान रवीन्द्रनाथ  टैगोर की बड़ी बहन थीं। जिन्हें हम राष्ट्र गान के रचयिता के रुप में भी जानते है।.

जन्म एवं परिवार 

उनका जन्म 28 अगस्त 1855 में कलकत्ता में हुआ जो कि वर्तमान समय में पश्चिमी बंगाल राजधानी है, ब्रिटिश सरकार के समय काल में यह पूरे भारत के राजधानी थी। उनके पिता का नाम देबेन्द्रनाथ नाथ टैगोर था जो कि एक सुप्रसिद्ध दार्शनिक एवं ब्रह्म समाज के नेता थे। स्वर्ण कुमारी देवी, कवि रवीन्द्रनाथ टैगोर  की बड़ी बहन थी। वे कुल 8 भाई बहन थे जिनके नाम इस प्रकार है-1.द्विजेन्द्रनाथ टैगोर 2.सत्येन्द्रनाथ 3.हेमेन्द्रनाथ टैगोर 4.ज्योतिरिन्द्रनाथ टैगोर 5. रवीन्द्रनाथ 6. वीरेन्द्र  टैगोर  आदि थे तथा बहन बार निका देवी एवं स्वर्ण लता देवी (स्वयं) उनकी माता का नाम शारदा देवी था । स्वर्ण कुमारी देवी की शादी जानकी नाथ घोषाल से हुई थी। शादी के बाद स्वर्ण कुमारी देवी के तीन संतानें हुई जिनके नाम इस प्रकार है 1. हिरण्मय देवी 2.सरला देवी चौधरानी 3. सर जोसाना घोसला था।.

शिक्षा-दीक्षा

स्वर्ण कुमारी देवी की प्रारम्भिक शिक्षा घर पर ही ,दरअसल उस समय काल में स्त्रियों को शिक्षा देना समाजिक मर्यादाओं के खिलाफ था। अतः उनके पिता अयोध्या नाथ प्रकाशजी को अपने घर पर बच्चों के पढ़ाने  के लिए नियुक्त किया था। इस प्रकार उनके पहले अध्यापक अयोध्या नाथ प्रकाशजी थे। बताया जाता है कि उनके लिए प्रकाश जी नहीं नियुक्त किया गया था मगर उनके सीखने की जिज्ञासा को देखकर उन्हें पढ़ाना उचित समझा।. आगे चलकर उन्होंने  स्नातक की शिक्षा Bethune collage में ली।.

साहित्यिक योगदान

वे बंगाल कि प्रमुख महिला लेखिका थीं। अपनी रचनाओं को विस्तार देते हुए, उन्होंने कविता, उपन्यास , नाटक , गीत  और वैज्ञानिक निबंध पर 25 से अधिक किताबों  की रचनाएं की। वे 30 वर्षों तक भारतीय साहित्यिक पत्रिका से जुड़ी रहीं। वे लगभग 11 वर्षों तक इस पत्रिका की संपादक रहीं।.
सामाजिक कार्य 
1. उन्होंने समाज की सर्वाधिक शोषित महिला वर्ग पर विशेष ध्यान दिया। उन्होंने महिला अधिकारों का संरक्षण करते हुए अनाथ व विधवा महिलाओं के उत्थान के लिए सक्रिय कार्य किया।
2. उनके द्वारा सखी समिति का स्थापना की गयी।
3. 1889-90 में वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अधिवेशन में भाग लेने वाली पहली महिलाओं में वे भी शामिल थीं।.

सम्मान एवं विरासत

1. जग तारिणी स्वर्ण पदक से सम्मानित किया गया उन्हें कलकत्ता विश्वविद्यालय की तरफ से , यह पुरस्कार उनके द्वारा किये गये साहित्यीक कार्यों लिए उन्हें दिया गया।
2. 1929 में बंगाली साहित्य सम्मेलन की अध्यक्ष बनी।
3.उनका लेखन महिलाओं की स्वतंत्रता पहचान ,सामाजिक सुधार और पितृ सत्ता के विरोध का प्रतीक रहा है।.

 निधन

77 वर्ष की आयु में स्वर्ण कुमारी देवी का निधन 3 जुलाई 1932 को कलकत्ता में हुआ ।. ऐसी कोई विशेष जानकारी उपलब्ध नही है कि जो बता सके कि उनका निधन किसी बिमारी  से हुआ।.

उनके नाम पर बने महत्वपुर्ण स्मारक स्थल

स्वर्ण कुमारी देवी का साहित्यिक और सामाजिक योगदान बहुत बड़ा है, लेकिन उनके नाम पर कोई प्रसिद्ध पार्क, भवन , सड़क य संग्रहालय या अन्य स्मारक स्थल के स्थापित होने की कोई जानकारी नहीं मिलती है। 

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